Monday, May 23, 2011

वो आज भी है...



वो आज भी है... 


दिल में सपनों और उम्मीदों का घर था,
जो मिल गया उसे खो ना दूं इसका डर था.

रास्ते अनजान  और मंजिल बड़ी दूर थी,
कुछ दिखता नहीं था, पर हसीं वो सफ़र था.

क़ैद कर लूं दुनिया अपनी मुट्ठी में ऐसे,
पा लूं वो सब कुछ जो मेरा रहगुज़र था,

अपना कर उसके साये को गुम हो जाऊं मैं,
खो जाऊं उसमे खूबसूरत उसका असर था.

दिल में सपनों और उम्मीदों का घर था,
जो मिल गया उसे खो ना दूं इसका डर था.


चेहरे पर उसके जो खिल जाती थी ख़ुशी,
देख कर उसे मैं भी खुश जाने किस कदर था,

उसने मुझे कभी अकेला छोड़ा नहीं ,
मैं उसके वो मेरे साथ हर कदम पर था,

कभी दूर रहकर तो कभी करीब से,
चाहा ऐसे कि सब कुछ मेरे नज़र था,

ये अलग बात है कि वो मिला नहीं मुझे,
पर उसका प्यार मुझमे कल भी अमर था.

दिल में सपनों और उम्मीदों का घर था,
जो मिल गया उसे खो ना दूं इसका डर था...