Wednesday, June 26, 2013

चार लाईनां

चार लाईनां बुरा ना मानों...


चीनी चावल गोल किए गोदाम भरे हैं ऐसे,
लूट के भोली जनता को जेबों में भरे हैं पैसे,
कहते हैं ये चूस लो ये तो पब्लिक है लाचार,
भ्रष्टाचार का धर्म निभाओ चाहे जैसे तैसे ।

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अक्षर से शब्द बनाते हैं शब्दों से वाक्य विन्यास,
भाषाओं का ज्ञान मिले तो होता सबका विकास,
पढ़ना लिखना हर कोई चाहे है शिक्षा अधिकार,
साक्षरता की जगे अलख बने जीवन की आस ।

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