Thursday, November 24, 2011

बैठकी की नई दुनिया



बैठकी की नई दुनिया
एक दौर था जब लोगों के पास वक़्त ही वक़्त था... तब शायद इन्सान की दुनिया उसके इर्द गिर्द  के कुछ ही हिस्सों तक महदूद थी... लेकिन बदलते वक़्त में हमने दुनिया का ग्लोबलाईजेशन देखा... और ये भी देखा कि कैसे हम सब एक दुसरे से दूर होते हुए भी तकनीकी सेवाओं और उपकरणों के ज़रिये कितने पास हैं... पर तस्वीर यहाँ पर थोड़ी सी ऐसे बदल जाती है कि पहले वक़्त था, सुकून था जो आज के दौर में शायद ही मिलता है... इसका कारण ये नहीं कि लोग आज पुराने तरीकों से जीना नहीं चाहते... और ना ही ये कि आज सभी अपने ही बारे में सोचने में लगे हैं... बल्कि ये बदलते वक़्त का ही बनाया एक नए तरीके का प्रयोगात्मक (PRACTICAL LIFE) मंच है, जिसके हम सब किरदार हैं जो अपने अपने अभिनय अंश का इंतज़ार कर रहे हैं... इस बदलती दुनिया में हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए तमाम सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट का जिन्होंने हमें अपने पुराने और बिछड़े हमजोलियों से मिलाया... अगर थोडा और सरल भाषा में कहा जाए तो पहले दोस्तों की बैठकी घर, नुक्कड़ या फिर किसी पेड़ के नीचे होती थी, जो कि अब फेसबुक और ऑरकुट जैसे अड्डों पर होती है... हाँ मज़ा उतना तो नहीं आता जो एक साथ बैठ कर गपबाज़ी करने में आता था लेकिन इतना कम भी नहीं आता... इसलिए थैंक्स इस वैज्ञानिक दुनिया का जिसने हमे ये विकल्प दिया...

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