देश का बदलता परिवेश
आके पश्चिम कि सभ्यता ने पैर जो पसारे हैं.
कल तक जिसे हम बुरी चीज़ मानते थे,
आज देखो बने सारे फैशन हमारे हैं.
माता और पिता का जो मान हुआ करता था,
आज सारा आदर सम्मान वो किनारे है.
भारत की शान खोके खुशियों में झूमते हैं,
अपने को मानते ये भारत के प्यारे हैं...
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