Thursday, March 10, 2011

देश का बदलता परिवेश


देश का बदलता परिवेश

राष्ट्र का स्वरुप हुआ कितना कुरूप, 
आके पश्चिम कि सभ्यता ने पैर जो पसारे हैं.

कल तक जिसे हम बुरी चीज़ मानते थे,
आज देखो बने सारे फैशन हमारे हैं.

माता और पिता का जो मान हुआ करता था, 
आज सारा आदर सम्मान वो किनारे है.

भारत की शान खोके खुशियों में झूमते हैं,
अपने को मानते ये भारत के प्यारे हैं...

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